भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज जीएसएलवी रॉकेट के साथ तीसरी पीढ़ी का मौसम पूर्वानुमान उपग्रह “इनसेट-3डीएस” सफलतापूर्वक लॉन्च किया।आज शाम ठीक 5:35 बजे, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सैटेलाइट का उद्घाटन हुआ।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने INSAT-3DS नामक एक संचार उपग्रह बनाया है। यह उपग्रह उच्च संकेतात्मक उपयोगों के लिए बनाया गया है, जैसे मौसम की पूर्वानुमान, आपात स्थिति का नियंत्रण, अनुग्रहीत क्षेत्रों में राजनीतिक सीमाओं का प्रबंधन और संचार सेवाएं। कृषि सेवाओं और वाणिज्यिक नायाब वार्ता (C-band) में INSAT-3DS का मुख्य उपयोग होता है। भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम के तहत संचार और मौसम अनुप्रयोगों को सेवाएं प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
उपग्रह का लक्ष्य पृथ्वी की सतह और समुद्री अवलोकनों का अध्ययन करना है। 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी-एफ14 रॉकेट इस स्थान से प्रक्षेपित किया गया।सैटेलाइट की लॉन्चिंग देखने आए लोगों ने तालियां बजाकर खुशी जताई।
मौसम अपडेट, आपदा को लेकर करेगा अलर्ट
इसरो ने बताया कि 2,274 किलोग्राम वजन वाले ये उपग्रह मौसम की सटीक जानकारी देंगे। यह मौसम और आपदा पर भी अलर्ट जारी करेगा।राहत और बचाव कार्यों में सहयोग करने के लिए ये सैटेलाइट इमरजेंसी सिग्नल सिस्टम को सूचित करेगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (P&D) के तहत कई विभागों को ये सैटेलाइट मिलेगा।
मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस का अहम योगदान
मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस (MoES) पूरी तरह से INSAT-3DS सैटेलाइट मिशन को वित्त पोषित करती है, जो उन्नत मौसम संबंधी टिप्पणियों के लिए बनाया गया है। यह मौसम और आपदा की सटीक भविष्यवाणी करेगा और भूमि और महासागर की सतहों की निगरानी करेगा। राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), INSAT-3DS उपग्रह के डेटा का उपयोग करके बेहतर मौसम पूर्वानुमान और मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करेंगे।
INSAT-3DS सैटेलाइट की विशेषताएं
- भारत का तीसरी पीढ़ी का एडवांस मौसम सैटेलाइट INSAT-3DS
- ये एक आधुनिक सैटेलाइट है जो मौसम की भविष्यवाणी और आपदा चेतावनी करता है।
- मौसम, जमीन और महासागर की सतहों की निगरानी के लिए डिजाइन
- यह डेटा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के कई विभागों द्वारा उपयोग किया जाएगा, जिसमें भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और अन्य एजेंसियां शामिल हैं।
- INSAT-3DS मौसम पूर्वानुमान और संबंधित सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
- INSAT-3DS में डेटा रिले ट्रांसपोंडर (DRT), सैटेलाइट सहायता प्राप्त खोज और बचाव (SA & SR) ट्रांसपोंडर, 19 चैनल साउंडर पेलोड हैं।
- 51.7 मीटर लंबे और 420 टन वजन वाले तीन फेज के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV-F14) रॉकेट से लॉन्चिंग
इसरो प्रमुख ने क्या कहा?
ISRO अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग पर कहा, “मुझे मिशन GSLV-F14 INSAT-3DS की सफल उपलब्धि की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है।” अंतरिक्ष यान बहुत अच्छी तरह से कक्षा में लगाया गया है। हमने यान का उत्कृष्ट प्रदर्शन भी उल्लेख किया है। टीम के सदस्यों को बधाई…।”
“शरारती लड़का” अब एक परिपक्व, आज्ञाकारी और अनुशासित लड़का बन गया है,” मिशन के निदेशक टॉमी जोसेफ ने कहा। जीएसएलवी, पीएसएलवी की तरह, इसरो के लिए बहुत मजबूत वाहन बन गया है। मैं सभी को बधाई देता हूँ…।’
ये इसरो का इस साल का दूसरा मिशन है
सैटेलाइट का प्रक्षेपण देखने के लिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर पर उपस्थित लोगों ने खुशी से तालियां बजा कर उसे रवाना किया। इस श्रृंखला का तीसरी पीढ़ी का सैटेलाइट INSAT-3DS है। 2024 में इसरो का दूसरा मिशन पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसेट है, जो जनवरी को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था।
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