भारत रत्न 2024:
केंद्र सरकार ने वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन, चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की है। तीनों ने भारत को विकसित करने में बड़ा योगदान दिया है। देश में एमएस स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक माना जाता है। पिछले महीने मोदी सरकार ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला किया है।इस घोषणा के कुछ दिनों बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई।
इस साल पांच हस्तियों को सम्मान देने की घोषणा की गई है। मदन मोहन मालवीय, अटल बिहारी वाजपेयी, प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख भी मोदी के कार्यकाल में सम्मानित हुए हैं। आज की तीन हस्तियों को मिलाकर भारत रत्न को पाने वालों में अब तक 53 लोग हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत रत्न देते हुए चौधरी चरण सिंह, नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन की प्रशंसा की है। PM मोदी ने तीनों राजनेताओ को उनके क्षेत्रों में किए गए कार्यों को याद किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के प्रति नेताओ के योगदान को याद किया
हमारी सरकार के लिए यह ख़ुशी की बात है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। इस सम्मान का उद्देश्य देश के लिए उनकी अनूठी सेवा है। उनका जीवन किसानों के अधिकारों और सुख के लिए समर्पित था। उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, देश के गृहमंत्री और यहां तक कि विधायक के रूप में काम करना पसंद था। आपातकाल के विरोध में वे भी दृढ़ रहे। हमारे किसान भाई-बहनों की समर्पण भावना और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता देश भर को प्रेरित करेगी।
भारत रत्न से हमारे पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को सम्मानित किया जाएगा। एक प्रसिद्ध विद्वान और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव ने भारत को कई क्षेत्रों में मदद की है। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और लंबे समय तक संसद और विधानसभा के सदस्य के रूप में समान रूप से स्मरण किया जाता है। भारत ने अपनी आर्थिक वृद्धि और समृद्धि के लिए एक मजबूत नींव रखी, जो उनके दूरदर्शी नेतृत्व से हुआ था।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको देश के प्रति तीनो नेताओ के योगदान के बारे में बताएँगे:
चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह भारत के किसान राजनेता व पाँचवें प्रधानमंत्री थे। 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक वह इस पद पर रहे। चौधरी चरण सिंह ने अपना पूरा जीवन भारतीयता और ग्रामीण जीवन में बिताया।
चरण सिंह जाट परिवार में जन्मे (23 दिसंबर 1902 – 29 मई 1987) थे। स्वतंत्रता के समय राजनीति में आए। इस दौरान उन्होंने बरेली कि जेल से दो डायरी लिखी। स्वतंत्रता के बाद वह राम मनोहर लोहिया ग्रामीण सुधार आंदोलन
में शामिल हो गए। चौधरी चरण सिंह ने अपने पिता चौधरी मीर सिंह से नैतिक मूल्यों की विरासत ली। चरण सिंह के जन्म के छह साल बाद चौधरी मीर सिंह अपने परिवार के साथ नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गए। यहीं, चौधरी चरण सिंह ने गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण किया।
1928 में, चौधरी चरण सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई ली और ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा से गाजियाबाद में वकालत शुरू की। वकालत जैसे व्यावसायिक क्षेत्र में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमे स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण था। उनकी राजनीतिक विरासत बहुत अलग है। आज जितनी भी जनता दल परिवार की पार्टियाँ हैं, चाहे वह उड़ीसा में बीजू जनता दल हो, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल हो या जनता दल यूनाएटेड हो, ओमप्रकाश चौटाला का लोक दल, अजीत सिंह का राष्ट्रीय लोक दल या मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी हो, यह सब चरण सिंह द्वारा दी गयी विरासत हैं।
चौधरी चरण सिंह का राजनीती जीवन
कांग्रेस के लौहर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित होने से युवा चौधरी चरण सिंह ने राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी बनाई। 1930 में, महात्मा गांधी ने हिंडन नदी पर नमक बनाकर सविनय अवज्ञा आंदोलन का साथ दिया। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।उन्हें किसानों का नेता माना जाता है। राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत ने उनका जमींदारी उन्मूलन विधेयक बनाया। यूपी में गरीबों को अधिकार दिए गए, एक जुलाई 1952 को बदौलत जमींदारी बंद हो गई।1954 में उन्होंने किसानों के हित में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून पारित कराया। 3 अप्रैल 1967 को उन्होंने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री पद संभाला। 17 अप्रैल 1968 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। वे मध्यावधि चुनाव में विजयी रहे और 17 फ़रवरी 1970 को दुबारा मुख्यमंत्री बने। केंद्रीय सरकार में गृहमंत्री बनने पर उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग को बनाया। 1979 में, उन्होंने वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) का गठन किया था। 28 जुलाई 1979 को, समाजवादी पार्टियों और कांग्रेस (यू) के सहयोग से चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बन गए।
पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव
28 जून 1921 को श्री पी. रंगा राव के पुत्र श्री पी. वी. नरसिंह राव का जन्म करीमनगर में हुआ था। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय, नागपुर विश्वविद्यालय और मुंबई विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। श्री पी.वी. नरसिंह राव के पांच बेटियां और तीन बेटे हैं। पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव भारत के 9वें प्रधानमंत्री बने। उनके प्रधानमंत्री काल में ही भारतीय अर्थनीति में खुलेपन और “लाइसेंस राज” का अंत हुआ। ये आन्ध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे।
श्री राव ने कृषि विशेषज्ञ और वकील के रूप में राजनीति में प्रवेश किया और कई महत्वपूर्ण विभागों का नेतृत्व किया। 1962 से 1964 तक वे कानून एवं सूचना मंत्री, 1964 से 1967 तक कानून एवं विधि मंत्री, 1967 में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री और 1968 से 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे. आंध्र प्रदेश सरकार में वे 1968 से 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे। 1971 से 1973 तक वे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे 1975 से 1976 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव रहे, 1968 से 1974 तक आंध्र प्रदेश के तेलुगू अकादमी के अध्यक्ष रहे और 1972 से मद्रास के दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उपाध्यक्ष रहे।
पी. वी. नरसिंह राव को मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस (आई) पार्टी ने अपना नेता चुना, और जून में आम चुनावों में वह भारत के 9वें प्रधान मंत्री बने। राव ने भारत की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए लगभग तुरंत ही जवाहरलाल नेहरू और गांधी परिवार द्वारा छोड़ दी गई अर्ध-समाजवादी व्यवस्था को स्वतंत्र बाजार व्यवस्था में बदल दिया। उनका लक्ष्य था सरकारी नियमों और लालफीताशाही को कम करना, निश्चित कीमतों और सब्सिडी को हटाना और राज्य द्वारा संचालित उद्योगों को निजीकरण करना। व्यापार घाटा, बजट और मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई, लेकिन औद्योगिक विकास और विदेशी निवेश बढ़ा।
एम एस स्वामीनाथन की जीवनी
एम एस स्वामीनाथन 7 अगस्त 1925 को कुंभकोणम, तमिलनाडु में जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम था मंकोम्बो सम्बासीवन स्वामीनाथन। एम. एस.स्वामीनाथन ने 1952 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से आनुवांशिकी में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। उन्हें कृषि विज्ञान और प्राणी विज्ञान में स्नातक डिग्री मिली।
हरित क्रांति के जनक
भारत में लाखों गाँव हैं और देश की अधिकांश जनता कृषि से जुड़ी हुई है। इसके बावजूद, कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग भी वर्षों तक भुखमरी के कगार पर रहे। इसका कारण कुछ भी हो, लेकिन ब्रिटिश शासनकाल में भी खेती या मज़दूरी करने वाले कई लोगों को बहुत मुश्किल से भोजन मिलता था। कई अकाल भी पड़े थे। भारत को कृषि से जुड़े होने के बावजूद भुखमरी से निजात पाना कठिन है, ऐसा लगता है। इसका कारण भारत में कृषि में सदियों से चले आ रहे उपकरणों और बीजों का उपयोग था। फसलों की वृद्धि के लिए बीजों में सुधार की ओर किसी का ध्यान ही नहीं गया था।
स्वामीनाथन गेहूँ की सर्वश्रेष्ठ किस्म को पहचानने और मानने वाले पहले व्यक्ति थे। इस काम से भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता था। स्वामीनाथन ने खाद्यान्न की कमी दूर करने के लिए सबसे पहले मैक्सिकन गेहूँ की एक किस्म को अपनाया। इससे भारत का गेहूँ उत्पादन तेजी से बढ़ा। यही कारण है कि स्वामीनाथन को “भारत में हरित क्रांति का जनक” कहा जाता है। स्वामीनाथन की कोशिशों का परिणाम यह हुआ कि भारत की जनसंख्या हर साल एक ऑस्ट्रेलिया के बराबर होने के बावजूद खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर हो गई है। भारत के खाद्यान्न उत्पादन और निर्यात दोनों लगातार बढ़ रहे हैं।
सभी भारत रत्न पुरस्कार विजेताओं की लिस्ट:
1. सी राजगोपालाचारी (1954)
2. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954)
3. सी.वी. रमन (1954)
4. भगवान दास (1955)
5. एम. विश्वरवैया (1955)
6. जवाहरलाल नेहरू (1955)
7. गोविंद बल्लभ पंत (1957)
8. धोंडो केशव कर्वे (1958)
9. बिधन चंद्र रॉय (1961)
10. पुरुषोत्तम दास टंडन (1961)
11. राजेंद्र प्रसाद (1962)
12. जाकिर हुसैन (1963)
13. पांडुरंग वामन काणे (1963)
14. लाल बहादुर शास्त्री (1966)
15. इंदिरा गांधी (1971)
16. वी.वी. गिरी (1975)
17. के कामराज (1976)
18. मदर टेरेसा (1980)
19. विनोबा भावे (1983)
20. खान अब्दुल गफ्फार खान (1987)
21. एम.जी. रामचंद्रन (1988)
22. भीमराव अंबेडकर (1990)
23. नेल्सन मंडेला (1990)
24. राजीव गांधी (1991)
25. सरदार वल्लभभाई पटेल (1991)
26. मोरारजी देसाई (1991)
27. अबुल कलाम आजाद (1992)
28. J.R.D. टाटा (1992)
29. सत्यजीत रे (1992)
30. गुलजारी लाल नंदा (1997)
31. अरूणा आसफ अली (1997)
32. एपीजे अब्दुल कलाम (1997)
33. एम.एस. सुब्बूलक्ष्मी (1998)
34. चिदंबरम सुब्रमण्यम (1998)
35. जयप्रकाश नारायण (1999)
36. अमर्त्य सेन (1999)
37. गोपीनाथ बोर्दोलोई (1999)
38. रविशंकर (1999)
39. लता मंगेशकर (2001)
40. बिस्मिल्लाह खान (2001)
41. भीमसेन जोशी (2009)
42. C. N. R. राव (2014)
43. सचिन तेंदुलकर (2014)
44. मदन मोहन मालवीय (2015)
45. अटल बिहारी वाजपेई (2015)
46. प्रणव मुखर्जी (2019)
47. नानाजी देशमुख (2019)
48. भूपेन हजारीका (2019)
49. कर्पूरी ठाकुर (2024)
50. लाल कृष्ण आडवाणी (2024)
51. चौधरी चरण सिंह (2024)
52. पी. वी. नरसिंह राव (2024)
53. एम एस स्वामीनाथन (2024)
भारत रत्न घोषणा के बाद नेताओ की प्रतिक्रिया
मल्लिकार्जुन खड़गे- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भारत रत्न की घोषणा पर कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस श्री पी वी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और डॉ. एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने का स्वागत करते है। राष्ट्रनिर्माण में पूर्व प्रधान मंत्री और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष पी वी नरसिम्हा राव ने बड़ा योगदान दिया है।
सोनिया गाँधी- कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने की घोषणा का स्वागत किया।संसद के बाहर संवाददाताओं से उन्होंने कहा, “मैं उनका स्वागत करती हूं।
जयंत चौधरी- अपने दादा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न सम्मान देने के सरकार के फैसले पर बोल रहे राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी। अपने भाषण के दौरान जयंत चौधरी ने कहा कि धरतीपुत्र चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दे सकती है वह सरकार जो जमीन की आवाज को समझती है और उसे बुलंद करना चाहती है।