भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मोदी सरकार ने लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा की है। PM मोदी ने कहा कि एलके आडवाणी ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वे आज के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी है।
PM मोदी ने एक्स पर लिखा, “मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।” मैंने भी उनसे बात की और उन्हें इस सम्मान के लिए बधाई दी। भारत के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान, आज के सबसे आदरणीय राजनेताओं में से एक है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे देश का उपप्रधानमंत्री बनने तक का है। लालकृष्ण आडवाणी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री और गृह मंत्री पद पर कार्य किया। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अद्भुत और विस्तृत होते हैं।
भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है भारत रत्न
भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न है। राष्ट्रीय सेवा इस सम्मान का हकदार है। कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवाओं और खेल इन सेवाओं में शामिल हैं। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद ने इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 को की थी। नाम के साथ इस सम्मान को पदवी के रूप में भी उपयोग नहीं किया जा सकता, अन्य अलंकरणों की तरह। पहले इस सम्मान को मरणोपरान्त नहीं देना था, लेकिन 1955 में इसे जोड़ा गया। बाद में 15 लोगों को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया। भारत रत्न एक वर्ष में तीन लोगों को ही मिल सकता है।
भारत रत्न एक वर्ष में तीन लोगों को ही दिया जाता है।भारत सरकार ने महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री सम्मानों को भारत रत्न के बाद दिया जाता है।
श्री सचिन तेन्दुलकर जी एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन को खेलो की श्रेणी में भारत रत्न प्राप्त हुआ है और वह भारत रत्न प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी हैं। भारत रत्न भी श्री अटल बिहारी वाजपेई को मिला है। यह भारत को समर्पित बहुत प्रभावशाली राजनीतिक जीवन के लिए उनके पास है। 1954 में पहला भारत रत्न दिया गया था।
लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के कर्णधार
8 नवंबर 1927 को जन्मे लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। भारतीय जनता पार्टी को भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण पार्टी बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान बताया जा सकता है। वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कई बार रह चुके हैं। आडवाणी ने जनवरी 2008 में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव जीतने पर प्रधानमन्त्री बनने की घोषणा की थी।
भारतीय जनता पार्टी की पूरी पार्टी को एकजुट करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में सर्वश्रेष्ठ नाम लालकृष्ण आडवाणी है। लालकृष्ण आडवाणी को कभी पार्टी का कर्णधार नेता, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा कहा गया। कुल मिलाकर, लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय हैं।
आडवाणी जी का जीवन परिचय
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म आठ नवंबर, 1927 को आज के पाकिस्तान के कराची में हुआ था। उनके पिता श्री के डी आडवाणी और माँ ज्ञानी आडवाणी थे। विभाजन के बाद भारत आने पर आडवाणी ने 25 फ़रवरी 1965 को ‘कमला आडवाणी’ को अपनी अर्धांगिनी बनाया। आडवाणी को दो पुत्र हैं।
लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई लाहौर में की, लेकिन बाद में उन्होंने भारत आकर मुम्बई के सरकारी कानून कॉलेज से कानून में स्नातक किया। आज वे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। वह गांधी के बाद दूसरे जननायक हैं जिन्होंने हिंदू आंदोलन और पहली बार बीजेपी की सरकार बनाई। लेकिन पिछले कुछ समय से मौलिकता खो रहे हैं। आज वो समझौतावादी दिखते हैं, जो पहले आक्रामकता के लिए जाने जाते थे। हिंदुओं में नई चेतना का सूत्रपात करने वाले आडवाणी में लोग नब्बे के दशक का आडवाणी खोज रहे हैं।अपने बयानबाज़ी से वे बहुत निराश हो गए। उसकी पुस्तक और ब्लॉग भी चर्चा में आए, विरोध भी हुआ।
लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक जीवन
वर्ष 1951 में जनसंघ की स्थापना में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का अहम योगदान था।1973 से 1977 तक आडवाणी भारतीय जनसंघ के पद पर रहे। वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई और वर्ष 1980 से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी का महासचिव पद संभाला। बाद में 1986 से 1991 तक पार्टी अध्यक्ष पद रहे।
1977 में समाजवादी पार्टी, स्वतंत्र पार्टी, लोक दल और जनसंघ ने एक नई पार्टी बनाई। राजनीति में नेताओं को अपनी पार्टी बदलना आम है। इंडियन नेशनल काँग्रेस के जगजीवन ने भी अपनी पार्टी को जनता पार्टी के गठबंधन में बदल दिया। इंदिरा गांधी का आपातकालीन शासन कई राजनीतिक पार्टियों को पसंद नहीं आया, जिससे चुनाव में इन्दिरा गांधी की सरकार हार गई और जनता पार्टी ने सत्ता हासिल की। भारत में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने, एल.के. आडवाणी सूचना एवं प्रसार मंत्री बने, और श्री अटल बिहारी वाजपाई विदेश मंत्री बने।
इसके बाद जनता पार्टी में बदलाव आया, और बहुत से प्रसिद्ध और अनुभवी नेता ने जनता पार्टी छोड़कर एक नई पार्टी बनाई। पार्टी को “भारतीय जनता पार्टी” कहा गया। इस नवोदित पार्टी में आडवाणी एक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण नेता थे। 1982 में वे पार्टी द्वारा राज्य सभा, या उच्च सदन, में मनोनीत हुए।
1990 में राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका
1990 में राम मन्दिर आंदोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथ यात्रा निकाली। आडवाणी को बीच में ही गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इस यात्रा के बाद उसका राजनीतिक महत्व बढ़ा।1990 की रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को चरम पर पहुंचा दिया था।1992 में बाबरी मस्जिद गिराने के बाद आडवाणी को भी आरोपी माना गया था।
स्वर्ण जयंती यात्रा में योगदान
आडवाणी जी ने भारत की आज़ादी की पांचवीं वर्षगांठ पर स्वर्ण जयंती रथ यात्रा की शुरुआत की। इस यात्रा ने देश भर में आजादी का जश्न मनाया। आडवाणी जी ने इस यात्रा को मई 1997 से जुलाई 1997 तक पूरा किया। इस यात्रा में देश की आजादी के लिए शहीद होने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। आडवाणी ने इस यात्रा को “स्वर्ण जयंती रथयात्रा—राष्ट्र भक्ति की तीर्थयात्रा” कहा। इस यात्रा का मुख्य लक्ष्य था भारतीयों में देशभक्ति की भावना जगाना।
आडवाणी जी का भारतीय जनता पार्टी में योगदान
तीन बार आडवाणी जी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बन चुके हैं। आडवाणी ने चार बार राज्यसभा और पांच बार लोकसभा का चुनाव जीता था। 1977 से 1979 तक पहली बार लालकृष्ण आडवाणी ने केन्द्रीय सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद संभाला। इस दौरान आडवाणी सूचना प्रसारण मंत्री रहे।
वर्तमान राजनीतिक जीवन में आडवाणी ने एनडीए सरकार के दौरान उपप्रधानमन्त्री का पद धारण किया है।लालकृष्ण आडवाणी को वर्ष 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केन्द्रीय गृहमन्त्री बनाया गया और फिर इसी सरकार ने उन्हें 29 जून 2002 को उपप्रधानमन्त्री पद पर नियुक्त किया गया था। भारतीय संसद में एक अच्छे सांसद के रूप में आडवाणी को अपने योगदान के लिए सराया गया और बहुत पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।आडवाणी पुस्तकें, संगीत और सिनेमा में विशेष रुचि रखते है और आज भी वह एक महान नेता के तौर पर जाने जाते है।
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