UNIFORM CIVIL CODE :
उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित हो गया है। विधानसभा में भाजपा का स्पष्ट बहुमत है। उसके 47 विधायक हैं। धामी सरकार को कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिला है। विधानसभा में पहले मंगलवार को समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया गया था। विधानसभा और राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद विधेयक कानून बन जाएगा।
उत्तराखंड में एक समान नागरिक संहिता पर काम किया जा रहा है, जो देश में सभी धर्मों और पंथों के लिए एक समान कानून लेकर आएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “ये कानून ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की कल्पना को साकार करेगा।”
उत्तराखंड में प्रस्तुत विधेयक क्या है?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में UNIFORM CIVIL CODE विधेयक प्रस्तुत किया। यह “समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024” है। इस कानूनी मसौदे, जो 182 पन्नों का है, में कई धाराएं और उप-धाराएं हैं। इसमें उत्तराधिकार, विवाह, विवाह-विच्छेदन और लिव इन रिलेशनशिप के नियम बताए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देश में बुराइयों को दूर करने के लिए UNIFORM CIVIL CODE लागू करने के लिए सबसे अनुकूल राज्य है। इस बिल का उद्देश्य ऐसा कानून बनाना है जो शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों में सभी धर्मों पर लागू हो।
विधेयक में विवाह के बारे में क्या बताया गया है?
समान नागरिक संहिता सभी के लिए शादी की आयु को स्पष्ट रूप से बताती है: युवक 21 वर्ष और युवती 18 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए।
इस संहिता में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पार्टीज टू मैरेज, यानी किन-किन के मध्य विवाह हो सकते हैं। एक पुरुष और एक महिला विवाह कर सकते हैं।
इस संहिता में पति अथवा पत्नी के बीच जब तक कानूनी रूप से तलाक नहीं हो जाता या जीवित होने की स्थिति में दूसरे विवाह नहीं कर सकता।
अब विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा। अब ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम और जिला और राज्य स्तर पर इनका पंजीकरण कराना संभव होगा, जो इस प्रक्रिया को सरल बना देगा। पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक वेब पोर्टल भी होगा. इस पोर्टल पर जाकर पंजीकरण प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी।
विवाहित जोड़े यदि एक दूसरे की सहमति के बिना अपना धर्म बदलते हैं, तो दूसरे व्यक्ति को तलाक लेने और गुजारा भत्ता की मांग करने का पूरा अधिकार होगा।
देश में प्रत्येक धर्म का अपना अलग पर्सनल लॉ है। UNIFORM CIVIL CODE लागू होने के बाद सभी धर्मों के लिए समान कानून लागू होगा। लेकिन समान नागरिक संहिता में शामिल बिंदुओं से अतिरिक्त किसी भी धर्म की मान्यता से छेड़छाड़ नहीं की गयी है।
धार्मिक मान्यताओं की आड़ में कई सामाजिक बुराइयां फैलती हैं। गुलामी, देवदासी, दहेज, बाल विवाह, तीन तलाक और अन्य प्रथाएं इसमें शामिल हैं। इन सभी सामाजिक बुराइयों का अंत इसी नागरिक संहिता से होगा।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए क्या नियम होंगे?
उत्तराखंड सरकार ने UNIFORM CIVIL CODE में लिव-इन रिलेशनशिप को संतुलित रूप से देखने का सुझाव दिया है-
यह कानून कहता है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगल के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष या अधिक होनी चाहिए और लिव इन रिलेशनशिप में रहने से पहले पहचान करने के लिए एक रजिस्ट्रेशन कराना होगा. 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और लड़की को दोनों के माता पिता को रजिस्ट्रेशन की जानकारी देनी होगी।
उत्तराखंड सरकार ने लिव इन रिलेशनशिप के मामलों में रजिस्ट्रेशन को जरूरी कर दिया है ताकि ऐसे जोड़ों को कहीं रहने के लिए किराए पर मकान लेने या अन्य पहचान की जरूरतों पर कोई कानूनी समस्या का सामना न करना पड़े।
संपत्ति में समान अधिकार के क्या नियम होंगे?
संहिता में पुत्र और पुत्री को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं। नाजायज़ और जायज़ बच्चों में कोई भेद नहीं है। दंपति के जन्मे बच्चों को जैविक संतान भी कहा जाता है, इसमें गोद लिए हुए बच्चे, सरोगेसी, असिस्टेड रीप्रोडक्टिव तकनीक से जन्मे बच्चे और नाजायज बच्चे शामिल हैं।
किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी और बच्चों को उसकी संपत्ति पर समान अधिकार है। उसके माता-पिता भी उसकी संपत्ति पर समान अधिकार रखते हैं। जबकि पुराने कानूनों में मृतक की संपत्ति में अधिकार केवल माता को थे। किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे का स्वामित्व भी सुरक्षित है। संहिता के नियमों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी को वसीयत के माध्यम से अपनी संपत्ति दे सकता है।
क्या है UNIFORM CIVIL CODE ?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44, जो राज्य की नीति के निदेशक तत्वों का एक हिस्सा है, इसी तरह की UNIFORM CIVIL CODE का उल्लेख करता है।
अनुच्छेद 44 में लिखा है कि ‘‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिये एक UNIFORM CIVIL CODE प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।’’
UNIFORM CIVIL CODE का उद्देश्य है कि भारत में रहने वाले हर नागरिक को समान कानून मिलना चाहिए, चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो। यानी हर धर्म, जाति और लिंग का कानून समान होगा। सिविल कोड लागू होने पर सभी नागरिकों को विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे के संबंध में समान नियम लागू होंगे।किसी भी धर्म के लिए कोई अपना पर्सनल या अलग कानून नहीं होगा।
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